देखें किस तरह उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लिए जयचंद की भूमिका निभाई

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Pic Credit - Google Images
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आज जिस शरद पवार की गोद में जाकर उद्धव ठाकरे बैठे हैं, हम उसी शरद पवार द्वारा शिवसेना और बाला साहब ठाकरे पर किये गए अत्याचारों पर आज बताएंगे. अंत में आप इन बातों को समझ कर कमेंट में जरूर बताना की उद्धव ठाकरे शिवसेना के लिए जय चंद साबित हुआ या नहीं.

पहला: शरद पवार राजनीती में शिवसेना को दो बार तोड़ चुके है. जिस वजह से शिवसेना के कई विधायक एनसीपी में शामिल हो जाते थे.

दूसरा: शरद पवार ने 70 साल के बाला साहब ठाकरे को 30 साल पुराने के एक केस में गिरफ्तार करवा दिया था.

तीसरा: कांग्रेस ने बाला साहेब ठाकरे का मताधिकार ही छीन लिया था.

शायद आपको पता न हों लेकिन बाला साहेब ठाकरे सोनिया गाँधी के दरबारियों को खुले मंच पर हिजड़ा कहकर बुलाते थे. वही सोनिया गाँधी के ख़ास अहमद पटेल को बाला साहेब ठाकरे खुले मंचों पर लांडिया कहा करते थे.

लेकिन तब शायद उनको एहसास नहीं होगा की जिन दरबारियों को वह हिजड़ा कह रहें थे, एक दिन उनका अपना बेटा उसी दरबार में शामिल होने के लिए बीजेपी से नाता तोड़ देगा. जिस अहमद पटेल को वह लांडिया कहा करते थे, उनका बेटा उसी अहमद पटेल के आगे पीछे चक्कर लगाता हुआ समर्थन मांगेगा.

बाला साहब ठाकरे ने हमेशा ही हिंदुत्व की राजनीती की है, उनकी विचारधारा में हिन्दुराष्ट्र का ही एक सबसे बड़ा लक्ष्य था. लेकिन इन सबसे हटते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी की खातिर शिवसेना को उद्धव ठाकरे ने सेक्युलर पार्टी बना दिया.

शिवसेना के साथ जुड़ने वाले लोग कट्टर हिंदूवादी लोग थे, ऐसे में जब पार्टी की आलाकमान अचानक सेक्युलर का राग अलापने लगे तो उसके समर्थकों में निराशा उत्पन होना लाज़मी था. इसी वजह से कई लोग आज उद्धव ठाकरे को शिवसेना का जय चंद बता रहें है, जिसने सिर्फ अपने बारे में सोचते हुए पार्टी के सिद्धांतों को नकार दिया.

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