
महाराष्ट्र के एक शख्स ने आरटीआई डालकर महाराष्ट्र के राज्यपाल की सैलरी के बारे में जानकारी मांगी थी. आपको बता दें की यह आरटीआई पुणे के आरटीआई एक्टिविस्ट प्रफुल सारदा द्वारा डाली गयी थी. जिसके बाद उन्होंने भी राज्यपाल की सैलरी को लेकर कई तरह के सवाल किए.
आरटीआई की तरफ से जो जवाब में डिटेल आयी वो थी वह बहुत ही ज्यादा चौंकाने वाली थी. दरअसल उन्होंने भारत के सभी राज्यों के राज्यपाल को लेकर जानकारी मांगी थी. लेकिन महाराष्ट्र के राज्यपाल की सैलरी सबसे चौंकाने वाली थी.
दरअसल आरटीआई में पता चला है की 2016 में महाराष्ट्र के राज्यपाल की सैलरी को 330 प्रतिशत बढ़ा दिया है था. जबकि, देश के बाकी किसी राज्य में भी इतनी सैलरी किसी राज्यपाल की नहीं बड़ी थी.
2015 में महाराष्ट्र के राज्यपाल को 1 लाख 10 हजार सैलरी दी जाती थी. इसके इलावा उन्हें सभी तरह के खर्चों के लिए लगभग 1 करोड़ 50 लाख रूपए ज्यादा मिलते थे, यह 1 करोड़ 50 लाख रूपए उनकी सैलरी के इलावा का खर्च हैं.
इसके बाद 2016 में महंगाई भत्ता के नाम पर 1 लाख 10 हजार रूपए सैलरी को बढ़ा कर 3 लाख 50 लाख रूपए कर दिया गया. इसके साथ ही 2015 में उन्हें जो बाकी खर्चों के लिए 1 करोड़ 50 लाख रूपए मिलते थे, उन्हें बढ़ाकर कितना किया गया है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है.
#Maharashtra | चौंकाने वाली है RTI से मिली महाराष्ट्र के राज्यपाल की सैलरी की जानकारी !
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(@prafful_sarda) pic.twitter.com/MzrmG4R7pT— आज तक (@aajtak) November 27, 2019
शिवसेना और आरटीआई एक्टिविस्ट का कहना है की पूर्व सरकार को यह जानकारी लोगों को जरूर देनी चाहिए की 2016 में उन्होंने आखिर किस आधार पर 330 प्रतिशत सैलरी को बढ़ाने का काम किया था. इसके पीछे की मंशा उनकी क्या रही होगी अगर सच में महंगाई का मामला था तो उनको सैलरी के इलावा दिए जाने वाले खर्चे किस लिए थे?