40 साल से रामलला के लिए केस लड़ने वाले इस वकील से मिलने पहुंचे, RSS प्रमुख मोहन भागवत

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Pic Credit - Google Images
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राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत लंबे इंतजार के बाद कल 9 नवंबर को आ गया है. वैसे तो राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने को लेकर बहुत सारे लोगों का योगदान शामिल हैं. लेकिन जब बात करें कोर्ट की तो सबसे अधिक योगदान अगर किसी एक इंसान ने दिया है तो उनका नाम के. पारासरन है.

आपको बता दें की के. पारासरन राम मंदिर के पक्ष में पिछले 40 सालों से केस लड़ रहें है. इस बीच उन्होंने कभी भी सुनवाई के दौरान छुट्टी नहीं ली. 93 साल की उम्र में भी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रोज़ाना सुनवाई के दौरान अपनी उम्र का हवाला देते हुए छुट्टी का बहाना नहीं बनाया.

बताया जाता है की एक बार एक जज ने के. पारासरन को उनकी उम्र का लिहाज़ करते हुए हुए राम मंदिर की सुनवाई के दौरान बैठकर अपनी बात रखने के लिए कहा था. इस पर के. पारासरन ने जवाब में कहा था की आप दिल के बहुत ज्यादा दयालु हैं, मैं आपके इस आदेश का सम्मान करता हूँ, लेकिन मुझे यह भी पता है की ऐसा करना कोर्ट की मर्यादा के खिलाफ होगा. इसलिए मेरी विनती है की मुझे खड़े होकर ही अपनी बात कहने का मौका दिया जाये.

ऐसे ही एक दूसरा वाकया तब हुआ जब रोज़ाना सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष द्वारा दिखाए गए राम मंदिर से जुड़े नक़्शे को कोर्ट में पेश किया था. नक़्शे को देखते ही मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को इतना क्रोध आया की उन्होंने जजों के सामने ही कोर्ट में नक्शा फाड़ दिया. यह सब होने के बावजूद के. पारासरन की वाणी में किसी प्रकार का क्रोध नहीं देखने को मिला था. इसपर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को कड़ी फटकार भी लगाई थी.

ऐसे में जब राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया तो देश की जानी-मानी हस्तियों के साथ-साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी के. पारासरन को बधाई दी. इसके साथ ही आज उन्होंने के. पारासरन से मुलाक़ात करके उनका आभार व्यक्त किया. मोहन भागवत के साथ संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी भी के. पारासरन के मिलने पहुंचे.

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