जन्मदिन:- जब साधु के खून से रंग गया था संसद भवन, तब महर्षि करपात्री ने इंदिरा को दिया था श्राप

0
open-fire-on-hindu-sadhu-front-of-parliament-in-history-1
Pic Credit - Google Images
open-fire-on-hindu-sadhu-front-of-parliament-in-history-3
Pic Credit – Google Images

कांग्रेस ने अक्सर इतिहास को छुपाने और मिटाने की कोशिश की है, शायद यही कारण भी रहा है की 1984 के बाद भी सिख भाई कांग्रेस को वोट देते है और उनके टिकट पर चुनाव लड़ते है. लेकिन हम आज बात करने जा रहें है उस इतिहास की धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिक जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए नजाने कितने साधुवों पर गोलियां चलवा दी थी.

गौ रक्षा बिल के लिए भगवा वस्त्र पहने संसद का घेराव करते हुए निहथे साधुवों पर गोलियां चलाई गयी थी. आज के पत्रकार और तथाकथित एनालिटिक्स जैसे की ध्रुव राठी आदि, वो भी आज तक यह बताने में नाकाम हैं की उस समय कितने लोगों पर गोलियां चली थी.

कितने साधु जख्मी हुई और कितने साधुवों का देहांत हुआ, क्योंकि यह सभी आंकड़े हमेशा-हमेशा के लिए इंदिरा सरकार द्वारा छुपा दिए गए थे. तब तत्कालीन महर्षि करपात्री महाराज ने इंदिरा गांधी को वो शाप दिया था की वो भी ऐसे ही निहथि गोलियों की बौछार के बीच मरेगी.

बताया जाता है शांतिपूर्वक बिल की मांग करते हुए साधु संत अपने साथ गौवंश भी साथ लेकर आये थे. फिर जब पुलिस ने अंधाधुन गोलियां चलाना शुरू की तो सिर्फ प्रदर्शन कर रहे साधु संतों को ही गोलियां नहीं लगी, बल्कि साथ में कई गौवंश भी मारे गए थे.

गौ हत्या बंद करने का वादा करके सत्ता में आने वाली इंदिरा गाँधी चुनाव जीतने के बाद संसद में इस बिल को बनाने के लिए कोई भी रुची नहीं दिखाई. जिसके विरोध में फिर सात नवंबर 1966 को देशभर के लाखों साधु-संत अपने साथ गायों-बछड़ों को लेकर संसद के बाहर पहुंचे.

संसद के बाहर बेरिकेट्स लगाए गए थे और जवानों को तैनात किया गया था, सब कुछ शांतिपूर्वक चल रहा था और तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने यह आश्वासन भी दिया था की हम बातचीत से इसका हल निकाल लेंगे.

लेकिन सत्ता के नशे में चूर इंदिरा गाँधी ने कथित रूप कहा की संत समाज बेरिकेट तोड़ सकता है, उनको यहाँ से भगा दो. बस फिर क्या था शांतिपूर्वक आंदोलन करने आये संत समाज के ऊपर गोलिया दाग दी गयी और कई जो वंश भी शहीद हुए. उसके बाद नाराज़ गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने इंदिरा गाँधी को अपना त्यागपत्र देकर अपना विरोध जाहिर किया.

open-fire-on-hindu-sadhu-front-of-parliament-in-history-2
Pic Credit – Google Images

इस गोलीकांड की जगह का नाम बाद में “गौ भक्त चौक” रख दिया गया, लेकिन क्या वह लोग किसी चौंक का नाम बदलवाने के लिए शहीद हुए थे? यह आज़ादी के बाद किसी सरकार द्वारा अपने नागरिकों की इतने बड़े पैमाने में नरसंहार करवाने का पहला मामला था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here