जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एक बार फिर से मीडिया की सुर्ख़ियों का हिस्सा बन चूका है, देखा जाए तो एक साल में इतने विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय पासआउट नहीं होते होंगे जितने बार यह मीडिया की सुर्ख़ियों का हिस्सा बनकर नज़र आता है.
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री से हुई छात्रों का प्रतिनिधिमंडल की मुलाक़ात में इस बात का आश्वाशन दिया गया की बढ़ी हुई फीस जल्द ही वापिस ले ली जाएगी और इसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चल रहे आंदोलन को खत्म कर दिया गया.
जब बात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की हो और जेएनयू छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार कोई ब्यान न दें ऐसा हो सकता है क्या? इसी कड़ी में कन्हैया कुमार का एक ब्यान सामने आया है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार और शिक्षा मंत्री पर तीखे सवाल पूछे हैं.
कन्हैया कुमार ने अपने ब्यान में कहा है की, “जेएनयू को लेकर एक माहौल बनाया जा रहा है कि इसके छात्र बिना वजह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, राजनीति कर रहे हैं जो कि सरासर झूठ है. जेएनयू में जिस तरह से फीस वृद्धि की गई है उससे 100 में से 40 फीसदी छात्र पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. ये 40 फीसदी छात्र ऐसे हैं जिनके परिवार की मासिक आमदनी 12 हजार रुपये है. फीस वृद्धि अगर लागू की जाती है तो जेएनयू देश की सबसे महंगी सेंट्रल यूनिवर्सिटी हो जाएगी. फिर जो छात्र गरीब-किसान परिवार से आते हैं, वे पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. इसीलिए जेएनयू के विद्यार्थी यह आंदोलन कर रहे हैं.”
कन्हैया कुमार यही नहीं रुके और उन्होंने आगे कहा की, “इस देश के पार्लियामेंट में जो सांसद जाते हैं उनके खाने पर सब्सिडी है, उनके रहने पर सब्सिडी है. जहां तक टैक्सपेयर्स के पैसे की बात है तो टैक्सपेयर्स के पैसे से 3 हजार करोड़ की मूर्ति बनाई जा रही है, टैक्सपेयर्स के पैसे से मुख्यमंत्री के लिए प्राइवेट जेट खरीदा जा रहा है, तो क्या ये टैक्सपेयर्स के पैसे की बरबादी नहीं है?”
अपने ब्यान को जारी रखते हुए कन्हैया कुमार ने कहा की, “जब हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हम पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने जा रहे हैं, तो क्या देश में 5 हजार छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दी जा सकती? जेएनयू की जहां तक बात है तो किसी भी छात्र को खैरात में कुछ नहीं दिया जा रहा है. ऑल इंडिया लेवल पर परीक्षा पास कर लोग जेएनयू में एडमिशन लेते हैं. देश की स्थिति ये है कि मात्र 3 परसेंट लोग हायर एजुकेशन में आते हैं, 1 परसेंट से भी कम लोग रिसर्च प्रोग्राम में शामिल हो पाते हैं. इसलिए यह बोलना कि रिसर्च में पैसा बरबाद किया जा रहा है, यह अपने आप में बहुत हास्यास्पद है. किसी भी देश को बेहतर बनाने के लिए अच्छे रिसर्च की जरूरत होती है. जेएनयू एकमात्र यूनिवर्सिटी है जो सोशल साइंस में अच्छे रिसर्च प्रोड्यूस करती है.”
अपने इस पुरे ब्यान में कन्हैया कुमार ने कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं किया की जो विद्यार्थी ब्रांडेड कपडे, महंगे मोबाइल और महंगे चश्में आदि लेते हैं, उनसे भी 10 रूपए महीना हॉस्टल का किराया लेना सही हैं? हॉस्टल में समय की पाबन्दी और विपरीत लिंग के व्यक्ति को हॉस्टल में दाखिल न होने से इसका पढ़ाई पर क्या बुरा असर पढ़ सकता है?