
अक्सर आपने सुना होगा गरीबों आवाज़ बनकर खड़ा हुआ नेता चाहे गरीबों का कल्याण न कर सके, लेकिन उसके बच्चों का कल्याण जरूर हो जाता है. आज यही बात सच भी साबित होती है, एक तरफ गरीबों का मसीहा बनकर देश की राजनीती में एहम भूमिका निभाने वाले लालू प्रसाद यादव भले ही भ्रस्टाचार के मामले में जेल में बंद हो.
भले ही उनकी वजह से यादव समाज के गरीबों का कोई भला न हुआ हो लेकिन उनके बेटों का भरपूर भला हुआ है. बिहार की राजनीती में लालू प्रसाद यादव का नाम कोई नहीं भुला सकता, लेकिन लालू यादव बिहार की तस्वीर बदलने में नाकाम ही साबित हुए.
राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते वह कई काम ऐसे कर सकते थे. जिससे राज्य में खुशियां आए, गरीबों परिवारों को रोज़गार मिले, लेकिन खैर ऐसा तो हो नहीं सका. वहीँ अगर हम बात करें उनके बेटे तेजस्वी यादव की और उनके बाकी बच्चों की तो उनका बहुत ज्यादा विकास हुआ है.
राज्य के पूर्व उप-मुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी यादव का जन्मदिन 9 नवंबर को होता है और इसी जन्मदिन को मनाने के लिए उन्होंने जिस जगह को चुना उसे किसी गरीब नेता का बेटा चुनने के लिए सोच भी नहीं सकता. तेजस्वी यादव ने एक चाटर्ड प्लेन के जरिये जमीन से लगभग 30000 फ़ीट की ऊंचाई पर अपना जन्मदिन मनाया.

वो चाहते तो अपना जन्मदिन को साधारण ढंग से मनाकर उसी धनराशि को गरीबों में बाँट सकते थे. गरीब परिवारों को रोज़गार नहीं तो इलेक्ट्रिक रिक्शा बाँट सकते थे, जिसे चलाकर वो पैसे कमा सकता, वो चाहते तो गरीब बच्चों की पढाई का खर्च उठा सकते थे लेकिन उन्होंने चुना एक चाटर्ड प्लेन.
ऐसे में सोचने वाली बात है फिर कैसे आप खुद को गरीबों का नेता मानते है? क्या संसद में भाषण देने से या फिर ट्वीट करने से गरीबी दूर हो सकती है? माना की बिहार में बहुत गरीबी है हर किसी की गरीबी आप दूर नहीं कर सकते लेकिन कुछ की तो कर ही सकते है और अगर वो भी नहीं कर सकते तो कम से कम खुद को गरीबों का नेता न कहें.