
‘राजीव दीक्षित’ अक्सर कहा करते थे की, कोर्ट में बैठ जजों को खुद को न्यायधीश नहीं बल्कि क़ायदाधीश कहना चाहिए. न्यायधीश वो होता है जो न्याय करें और क़ायदाधीश वो होता है जिसे सब कुछ पता हो, दिख रहा हो लेकिन कानून की किताब ने उसके हाथ बांधे हो और उस किताब के अनुसार सज़ा सुनाई जानी हो.
ऐसे बहुत से केस होते हैं, जिसमे चोरी, बलात्कार, आतंकवाद, हत्या, भ्रस्टाचार आदि मामलों में मुज़रिम पकडे जाते हैं, सब जानते है वो मुज़रिम है और उसे सज़ा मिलनी चाहिए. लेकिन उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने के चलते वो अदालत से बरी हो जाता है.
ऐसा ही एक मामला केरल हाईकोर्ट का सामने आया हैं, बताया जा रहा है की नाबालिक लड़की से बलात्कार के मामले में एक मुज़रिम को हाईकोर्ट ने आठ महीने में ही जमानत पर रिहा करने का फैसला सुना दिया.
नाबालिक पीड़िता का पिता, कोर्ट के इस फैसले से बहुत ही ज्यादा नाराज़ था, इसलिए जब उसे एहसास हुआ की अब कोर्ट से उसे न्याय नहीं मिल सकता तो उसने आरोपी को सज़ा देने का खुद ही फैसला कर दिया.
जिस दिन अपराधी कोर्ट से जमानत की कार्यवाही पूरी करते हुए बाहर आया, उसी वक़्त नाबालिक पीड़िता के पिता ने उसे गोली मार कर जान से मार दिया. इसके बाद पुलिस ने लड़की के पिता को कानून के मुताबिक़ गिरफ्तार कर लिया.
केरल हाईकोर्ट ने बलात्कारी को 8 महीने में दी जमानत..!
नाबालिग बेटी के पिता ने बलात्कारी को
जेल से बाहर आते ही गोली से उड़ाया।
👌🙏🏻👏— डा.सीमा (@seematri6) November 16, 2019
इस घटना की जानकारी ट्विटर पर ‘डॉ सीमा’ नाम के एक यूजर ने दी है, फिलहाल इसके इलावा कोई अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं हुई है अभी. लेकिन ट्विटर यूज़र्स लड़की के पिता द्वारा उठाये गए हथ्यार को सही मान रहें है. भले ही लड़की के पिता द्वारा किया गया यह काम पुलिस और जज साहब को भी भीतर से सही लगे, लेकिन कानून के मुताबिक़ उन्हें लड़की के पिता को वही सज़ा देनी होगी जो हमारे देश के कानून की किताब में लिखी हैं.
भूतिये कानून के घर देर लगती होगी लेकिन एक बच्ची के पिता के कटघरे में इंसाफ मौक़ा-ए-वारदात पर ही हो जाता है।
थू है ऐसे कानून पर और केरल हाईकोर्ट पर।
😡— Manish (@creative_manish) November 17, 2019
बहुत अच्छा किया रोज रोज रोने से उसको मार कर बदला भी पूरा हुआ और हमारा भी दिल खुश हुआ।
— मोहित चौधरी (@MohitCh48369637) November 16, 2019
अब फिरसे अपने आप को और परिवार को सुरक्षित रखने के लिये खुद ही हथियार उठाना जरूरी है….
कोई बाप कैसे भूल सकता है कि उसकी लाडली को कोईं रौंद दे…
उसकी अस्मत उतार दे, उसका शरीर नोचे…
गर्व है उसपर जिसने उस दरिंदे को मार डाला👍👍👍👍— Rajesh Y Deshmukh (@RajeshYDeshmuk1) November 16, 2019
जब न्यायपालिका मजबूर करदेगी तो लाचार आदमी कुछ भी करने के लिए खड़ा हो जाएगा ,सही पुरी दुनिया जानती है मांगने से किसे कुछ मिला है।
— Bhiro singh (@Bhirosingh) November 16, 2019
अब जरूरत हो गई है कि भारतीय दंड विधान को
फिर से ,आज की जरूरत के हिसाब से लिखा जाए।
और उसे सख्ती से लागु भी किया जाए । वरना आम
आदमी स्वंय अपना कानुन लागु करेगा ।— MAHESH. JOSHI (@MAHESHJ77378461) November 16, 2019