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हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को इसलिए माना जाता है, आज ही के दिन त्रिपरासुर का वध हुआ था. जिसके चलते देवी देवताओं ने हजारों दीप जलाकर दिवाली भी मनाई थी. इस वजह से इस दिन को देव दिवाली के नाम से भी जाना जाता है.
इस दिन सुबह नदी के किनारे स्नान करना और दान पुन करने का बहुत अधिक महत्व है. आपको शायद पता न हों लेकिन हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान् विष्णु के पहला अवतार आज ही के दिन हुआ था.
आज के दिन लोग नदी किनारे स्नान करके दीप दान भी करते हैं. दीप दान करना हमारे शास्त्रों में बहुत महत्व रखता हैं, बताया जाता हैं की दीप दान करना 10 यज्ञ करने के बराबर होता हैं. इसी कड़ी में घर के आंगन में लगी तुलसी के पास एक दिया सूर्यास्त के बाद जलाएं. दिया जलाने के बाद तुलसी की परिकर्मा करें, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें की तुलसी को आप न छुएं.
दान पुण्य का काम करने जा रहें हैं तो ध्यान रखें, सूर्य के कारण ह्दय रोग और अपयश की समस्या उत्पन्न होती हैं, इसलिए आपको इसके लिए गेंहूं और गुड़ दान करने की जरुरत हैं. चाँद के कारण मानसिक रोग या फिर मानसिक तनाव की समस्या पैदा होती हैं, इसलिए मिसरी, दूध और जल का दान करें. मंगल के कारण आपके खिलाफ मुकदमा दर्ज़ होता हैं या फिर रक्त चाप में उतार-चढ़ाव आता हैं इसके लिए मसूर की दाल का दान करें. ध्यान रखें की यह सभी दान आप अपनी इच्छा अनुसार कर सकते हैं.
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आज देश भर में लोग नदियों के किनारे जाकर स्नान करेंगे और दीप दान करेंगे. अगर आपके घर के आस पास नदी नहीं हैं या फिर आप किसी कारण से नदी में नहीं स्नान नहीं कर सकते तो घर में स्वच्छ पानी की बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करके भी दान पुण्य का काम कर सकते हैं.