
राजस्थान सरकार द्वारा पाकिस्तान से आये हिंदुवो को वापिस जाने का आदेश दे दिया गया हैं. आदेश अनुसार नवाबचन्द उर्फ़ नंदलाल, गुलचंद उर्फ़ गुल्लुजी, किशोरदास, जयरामदास, कँवर राम और काजल के नाम शामिल हैं.
वीज़ा उल्लंघन के कानून के तहत इन शरणार्थियों को वापिस जाने के आदेश दिए गया हैं. शरणार्थी वीज़ा धारकों को बहुत ज्यादा छूट नहीं होती की वो इस वीज़ा के साथ इधर उधर घूम सके और भी कई तरह की पाबंदियां होती हैं जैसे वह लोग नौकरी नहीं कर सकते, सरकारी सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते, प्रॉपर्टी नहीं ले सकते आदि.
लेकिन फिर भी इन शरणार्थियों ने जिला जैसलमेर के नाचना गाँव में जाकर निवास किया, आपको बता दें जिला जैसलमेर और उसके गाँवों में शरणार्थियों के जाने की अनुमति नहीं होती. इसी को लेकर पुलिस ने राज्य सरकार के नियम का हवाला देते हुए उन्हें देश छोड़ने को कहा हैं और साथ ही कहा हैं की अगर आप देश नहीं छोड़ते तो आपको हमें देश से निष्कासित करना पड़ेगा.
यह खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई, लोगों ने कांग्रेस सरकार को घेरना शुरू कर दिया, ऐसे ही बीजेपी के स्पोकपर्सन और पूर्व मेजर सुरेंद्र पूनिया लिखते हैं की, “राजस्थान सरकार ने कुछ हिन्दू पाकिस्तानी शरणार्थियों को तुरन्त भारत छोड़ने का आदेश दिया है. अगर ये पाक वापिस गये तो सबका क़त्ल होगा, देश में करोड़ो बांग्लादेशी व रोहिंग्या मज़े से रह रहे हैं, उनको कोई कुछ नहीं कह रहा. आदरणीय नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी इसमें हस्तक्षेप करें. जय हिन्द”.
कुछ लोग हालाँकि वीज़ा नियमों के उल्लंघन के दौरान राज्य की पुलिस द्वारा राज्य के कानून अनुसार की गयी कार्यवाही को सही मान रहें हैं. लेकिन ऐसे में सवाल उठता हैं की क्या यह नियम सिर्फ हिन्दू शरणार्थियों पर लागू होते हैं? बांग्लादेशी शरणार्थी आज देश के किन हिस्सों में किन नौकरियों में हैं कोई नहीं जानता उनपर कार्य करना चाहते हैं तो NRC का विरोध शुरू हो जाता हैं. फिर हिन्दू शरणार्थियों पर यह कानून इतनी सख्ती से कैसे लागु हुआ?