
आज मीडिया की सुर्ख़ियों में सबसे ख़ास हिस्सा शिवसेना का रहा जिसने सभी राजनितिक पंडितों और सूत्रों को पछाड़ते हुए नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) पर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट डालने का ऐलान कर दिया.
शिवसेना ने महाराष्ट्र की राजनीती में पहली बार विरोधी तेवर दिखाते हुए कांग्रेस और एनसीपी को चकमा दे दिया. कुछ राजनितिक पंडितों का कहना है की, शिवसेना अपने समर्थकों को दिखाना चाहती है की वह अपनी विचारधारा के लिए अभी भी स्वतंत्र हैं.
कुछ और राजनितिक विशेषज्ञों का कहना है की, शिवसेना के समर्थकों में भी कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन के बाद से निराशा फैलने लगी थी, ऐसे में शिवसेना 400 से अधिक कार्यकर्त्ता बीजेपी में शामिल हो गए थे. इस बढ़ती संख्या को रोकने के लिए शिवसेना के संजय राउत ने अपनी राजनितिक चाल चलते हुए. अपने राष्ट्रवादी होने का सबूत अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को दिया हैं.
वहीं कुछ राजनितिक विशेषज्ञों का कहना हैं की, शिवसेना ने यह कदम इसलिए उठाया है जिससे एनसीपी और कांग्रेस भविष्य में किसी बात को लेकर दबाव न बना सके. इस तरह से उसे इस बात का डर रहेगा की कर्णाटक की जगह कहीं बिहार पार्ट 2 न बन जाए.
फिलहाल कारन कुछ भी हो लेकिन यह तय है की शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद पहली बार बीजेपी का साथ देने जा रही हैं. वो भी एक ऐसे बिल पर जिससे एनसीपी और कांग्रेस के समर्थकों को झटका लगना तय हैं.
इस बिल के समर्थन में उद्धव नहीं बल्कि शिवसेना नेता संजय राउत सामने आये हैं. उन्होंने ब्यान दिया है की, हमने महाराष्ट्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों का सामना किया हैं. कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाना अलग बात है और राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर रखना अलग बात हैं.
संजय राउत ने कहा की हां लेकिन एक बात यह है की बीजेपी को सभी राज्यों के नेताओं की राय लेनी चाहिए. जैसा की हम सब जानते हैं, खुद बीजेपी के ही असम के मुख्यमंत्री इस बिल का विरोध कर रहें हैं.

उन्होंने कहा लेकिन हम राष्ट्रीय पार्टी नहीं हैं. हमें बस महाराष्ट्र की फ़िक्र हैं और हम बांग्लादेशी घुसपैठियों से कई दशकों से परेशान हैं, इसलिए जब भी बिल आएगा शिव सेना इस बिल के पक्ष में वोट डालेगी.