
जब गैस सब्सिडी छोड़ने की बात आयी थी तो ज्यादा तर लोगों ने सोशल मीडिया पर हल्ला किया था की, पहले संसद की कैंटीन की सब्सिडी बंद करो. फिर मैं अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दूंगा. तो आज आप अपने परिवार या दोस्त को यह बता दीजिए की संसद के खाने पर सब्सिडी पूरी तरह से बंद कर दी गयी है.
आपको बता दें की लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ही सबसे पहले इस बार सुझाव पेश किया था की संसद में मिलने वाले खाने की सब्सिडी को ख़त्म कर दिया जाए. जिसके बाद सभी दलों की आपसी सहमति जताई और सब्सिडी को ख़त्म कर दिया गया.
सब्सिडी ख़त्म होने से अब हर साल लगभग 17 करोड़ रूपए की राशि की बचत होगी. खाने की बात करें तो अब यह खाना अपनी लागत के हिसाब से ही संसद की कैंटीन में मिलेगा. सरकार की तरफ से इसपर अब कोई छूट नहीं मिलेगी.
संसद में केवल सांसद ही नहीं बल्कि कार्यरत स्टाफ, सुरक्षाकर्मी, पत्रकार और संसद की कार्यवाही देखने के लिए आने वाले लोग अमूमन संसद कैंटीन से ही खाना खाते थे. सब्सिडी सारे खाने पर लागू होती थी, सब्सिडी ख़त्म करने की मांग भी बहुत सालों से सोशल मीडिया पर उठ रही थी.
अधिकारी रूप से सबसे पहले 2015 में बीजद के सांसद बिजयंत जय पांडा ने स्पीकर को चिठ्ठी लिखकर कहा था की, “जब सरकार आर्थिक रूप से मजबूत लोगों से एलपीजी सब्सिडी वापस करने के लिए कह रही है तो सांसदों से भी कैंटीन में सब्सिडी की सुविधा वापस ले लेनी चाहिए.”

खैर इस काम को होने में 70 साल का समय भले ही लग गया हो लेकिन देश की जनता के टैक्स पर से एक और छोटा सा ही लेकिन अतिरिक्त बोझ ख़त्म हुआ. अब यह बचत देश के विकास कार्यों में खर्च हो सकेगी.