
विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्देशित, शिकारा 1990 में घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार को दर्शाने वाली एक फिल्म हैं. यह फिल्म हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई के उन नारों की सचाई दिखाएगी जिसे सिर्फ वही लोग देख पाते हैं, जिनके इलाके मुस्लिम बहुल हो जाते हैं.
तो जाहिर हैं की, इस फिल्म को लेकर लिबरल्स और टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्यों को मिर्ची लग सकती हैं. इसी पर एक अफवाह यह भी उड़ाई जा रही है की यह फिल्म मुस्लिम और कश्मीरी पंडित की प्रेम गाथा पर निर्धारित होगी, लेकिन यह महज़ एक सफ़ेद झूठ है. जो वामपंथी समर्थक फैलाने में लगे हैं.
फिल्म के निर्देशक का कहना है की, हमने फिल्म में बिलकुल वैसे ही हालात दिखाने की कोशिश की हैं, जैसे हालात 1990 में कश्मीर में बने थे. इस फिल्म में दिखाया गया है की कैसे मुसलमानों ने गंगा-जमुनी तहज़ीब और हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई के नारों को नकारते हुए अल्लाह-हु-अकबर के नारों के साथ वहां से कश्मीरी पंडितों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर किया था.
सिर्फ घर ही नहीं मस्जिदों में ऐलान किया जा रहा था की घर, पैसा, जवाहरात और औरतें हमारे लिए छोड़ जाओ. बताया जाता है की उस रात हजारों लोगों का कत्लेआम हुआ, कुछ औरतें अपने परिवार के साथ कश्मीर से भागने में कामयाब रहीं, लेकिन बहुत बड़ी तादार में औरतों का बलात्कार किया गया.
2 मिनट 34 सेकंड के इस ट्रेलर में आपको पूरी तरह से दिखाने की कोशिश की गयी है की, आखिर कैसे वहां के कश्मीरी पंडितों के हालात जुम्मे की नमाज़ के बाद से बदलने शुरू हो गए और देखते ही देखते बड़े-बड़े घरों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में बने शरणार्थी कैम्पों में रुकना पड़ा.
फिल्म का ट्रेलर पूरी तरह से वायरल हो चूका है और मात्र 24 घंटे में इसे 2 करोड़ से अधिक लोगों ने देख लिया हैं. यूट्यूब इंडिया में यह ट्रेलर नंबर 2 पर रैंक कर रहा हैं. सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ मीडिया तक इस ट्रेलर को लेकर चर्चे हैं, हालाँकि दिल्ली के चुनावों को देखते हुए फिलहाल किसी भी राजनितिक दल ने इस ट्रेलर पर आपत्ति व्यक्त नहीं की हैं.