
धारा 370 और 35ए को हटाने से भले ही हमारे विरोधी दल और कुछ बुद्धिजीवी नाराज़ हों लेकिन क्या आप जानते है इसका सबसे ज्यादा नुक्सान अगर किसी एक देश को हुआ है तो वो चीन है? अगर नहीं तो आपको हमारा यह लेख पूरा पढ़ना चाहिए.
जैसा की हम सब जानते है दुनिया की अर्थव्यवस्था का केंद्र बनने और अमेरिका से ज्यादा ताकतवर बनने के लिए चीन ने दुनिया भर में सड़कों का जाल बिछाने का काम शुरू किया था. जिसका सबसे पहला प्रोजेक्ट था CPEC जी हाँ, बलोचिस्तान से लेकर पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर से होती हुई एक सड़क जिसे चीन ने नाम दिया था CPEC.
चीन इस प्रोजेक्ट यानी CPEC को खाड़ी देशों के साथ जोड़ने का प्लान बना रहा था, जिससे खाड़ी देशों की निर्भरता अमेरिका के बाजार से कम हो जाती और चीन सीधा खाड़ी देशों की मार्किट में अपने प्रोडेक्ट डाल देता. अब क्योंकि इन सभी प्रोजेक्ट पर चीन लोन के रूप में दूसरे देश की सड़क बनाता तो वह देश चीन का कर्ज़दार हो जाता जिसके बाद व्यापार को लेकर उस देश के पास कोई दूसरा रास्ता ही न बचता.
इन सब देशों में से सबसे ज्यादा कर्ज़दार पाकिस्तान होता और चीन पाकिस्तान के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी साबित होती, जैसे आज के वक़्त पर होन्ग-कोंग चीन के पास 99 साल की लीज पर पड़ा है ऐसे ही पाकिस्तान के साथ भी होता लेकिन इसके साथ ही भारत के लिए खतरा बढ़ जाता.

अमेरिका चाहता है की खाड़ी देशों तक चीन की पकड़ न पहुँच सके, इसके लिए उसे एक मजबूत साथ चाहिए था किसी ऐसे देश का जो आतंकवाद और चीन दोनों से मुकाबला कर सके. ऐसे में भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी और आतंकवाद से लड़ने की क्षमता दोनों ही अमेरिका की योजना के लिए अच्छे साबित हुए.
CPEC को रोकने के लिए 370 और 35ए हटाना जरूरी था, यह बात अमेरिका बखूबी जानता था. इसीलिए जब पाकिस्तान के साथ चीन ने भी UN में कश्मीर को लेकर शिकायत की तो लगभग सभी देशों ने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया की यह भारत का आंतरिक मामला है.
चीन जब पूरी तरह से कूटनीतिक तरीके से हार चूका है तो इसलिए अब वह भारत से दोस्ती के हाथ बढ़ा रहा है. CPEC का काम तभी खत्म होगा जब उसका रास्ता पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर से होते हुए गुजरेगा. चीन को पता है की भारत आज नहीं तो कल पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर को आज़ाद करवा लेगा ऐसे में अगर भारत के साथ दुश्मनी रही तो यह बना बनाया रास्ता भी बंद कर दिया जायेगा.
इसीलिए चीन अब कुछ समय से हालात समान्य होने का इंतजार कर रहा है, जिससे उसका नुक्सान दिन प्रतिदिन और ज्यादा बढ़ रहा है. क्योंकि 40 लाख करोड़ के CPEC प्रोजेक्ट की कीमत पहले ही देरी की वजह से 70 लाख करोड़ रूपए तक पहुँच गयी है ऐसे में और ज्यादा देरी का मतलब और ज्यादा नुक्सान.

उधर अमेरिका ने भी ट्रेड वॉर छेड़कर चीन की कमर तोड़ने की त्यारी कर रखी है, ऐसे में जब चीन आर्थिक तंगी से जूझ रहा होगा उसका दबदबा बाकी देशों पर से कम हो जायेगा. ऐसे में दुनिया की जिन मार्किट पर चीन का कब्ज़ा है उन मार्केट्स में भारत अपना एक्सपोर्ट कर सकेगा और अमेरिका को भी भारत से चीन जैसा खतरा नहीं होगा, जो जबरन दूसरे देशो को क़र्ज़ देकर वहां कब्ज़ा करने की त्यारी करे.