उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी और डीजीपी ओपी सिंह को मुख्य न्यायधीश ने एक मुलाक़ात के लिए दिल्ली में बुलाया है. मुख्य न्यायधीश उत्तर प्रदेश में माजूदा हालातों का जायज़ा लेना चाहते है. वो इस बात को सुनिश्चित करना चाहते है की फैसला आने के बाद भी वहां हालात समान्य रहेंगे.
इससे ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभी नेताओं और समर्थकों को अयोध्या के फैसले पर बयानबाज़ी करने से बचने की अपील की थी. बीते 27 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2010 में आये इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को भी याद किया और बताया आखिर कैसे तब देश एकजुट रहा था और हालात समान्य रहे थे.
गृह मंत्रालय की तरफ से देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलर्ट पर रहने को कहा है, भारतीय सरकार नहीं चाहती की अयोध्या फैसले के दौरान देश के किसी भी कोने में कोई हिंसक झड़प हो.
दूसरी और सरकार सभी राजनेताओं और पार्टियों से अपील कर रही है की कोर्ट के फैसले का सम्मान करें. फिर भी सुरक्षा के मध्यनज़र यूपी के अंबेडकर नगर में अलग अलग स्थानों पर 8 अस्थाई जेलों को त्यार किया गया है. जिसमे अगर कोई भी व्यक्ति हिंसक होने की कोशिश करता पाया गया उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही करते हुए उसे जेल में डाल दिया जायेगा.
इसके साथ ही आपको बता दें की अयोध्या का फैसले अगले सप्ताह में कभी भी आ सकता है, बहुत ज्यादा संभावना है की यह फैसला 14 नवंबर को आये. उस दिन हो सकता है की पुरे देश में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया जाये. जब यह सेवाएं शुरू भी होंगी उसके बाद भी अगर कोई अयोध्या पर भड़काऊ पोस्ट डालता पाया गया तो उसके खिलाफ दंगा भड़काने के जुर्म में मामला दर्ज़ करके पुलिस द्वारा कठोर कार्यवाही की जाएगी.