
आज पुरे देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया गया हैं. जिसके बाद अब देश भर में मजूद 2014 से पहले भारत में आकर बसे गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता लेने का अधिकार मिल गया हैं.
केंद्र सरकार ने 10 जनवरी को राजपत्र प्रकाशन के जरिये बताया है की, “केंद्र सरकार जनवरी, 2020 के 10 वें दिन को उस तारीख के तौर पर सूचित करती है, जिस दिन नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे.”
1955 में पहली बार नागरिकता संशोधन कानून आया था, बताया गया था की भारत में नागरिकता लेने के लिए आपको 11 से अधिक साल भारत में रहना जरूरी हैं. अगर कोई व्यक्ति घुसपैठ करके भारत आता हैं तो उसे वापिस उसके देश भेजने और गिरफ्तार करने का भी कानून हैं.
इस कानून के बाद कांग्रेस कहती रही की हम गैर मुस्लिमों को भी नागरिकता देंगे या उनके लिए कानून में कुछ बदलाव करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. खैर 2019 में मोदी सरकार ने इस संशोधित बिल को राजयसभा और लोकसभा में पास करवा कर जरूरी कार्यवाही को पूरा किया और इसे कानून बनाकर अब पुरे देश में लागू कर दिया हैं.
संशोधित बिल में पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई आदि) को अब मात्र 6 साल भारत में रहने के बाद उनके पास नागरिकता लेने का अधिकार होगा.

हालाँकि विपक्ष घुसपैठिये और शरणार्थियों में अंतर नहीं समझ पा रहा हैं, इसी पर सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने कहा है की, एनआरसी का मुद्दा शरणार्थी बनाम घुसपैठिए हैं. खैर विपक्ष ने अपनी पूरी कोशिश की थी की इस बिल को किसी तरह से केंद्र सरकार वापिस ले ले लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने पहले की कहा था की जो मर्जी हो जाये बिल वापिस नहीं होगा और अब यह पुरे देश में लागू हो चूका हैं.