
भारत में अक्सर कहा जाता है यह जितने भी मुस्लिम खुद को कट्टर मुस्लिम समझते हैं वो ज्यादा नहीं बस पांच पीढ़ी पीछे जाकर देख लें की उनके पूर्वजों का नाम क्या है. भारत एक ऐसा देश था जिसमे केवल सनातन धर्म को मानने वाले थे.
ईसाई धर्म 2000 साल पहले और मुस्लिम धर्म 1500 साल पहले बना था, ऐसे में सोचने वाली बात है की इनसे पहले भारत में कौन रहता था? क्योंकि भारत में तो हिन्दू धर्म 5000 साल से भी पुराना हैं.
इसी बात को लेकर अरब के राजा महाराजा भी एशिया के मुस्लिमों को दूसरे दर्ज़े का मुस्लिम मानते हैं, जो की कनवर्टेड मुस्लिम हैं. वह लोग इन मुसलमानों को सच्चा मुस्लिम नहीं मानते. फिर भी हमारे देश में कुछ नेता इन मुस्लिमों को आक्रमणकारियों का इतिहास बहुत गर्व से पढ़ाते हैं.
ऐसा ही एक मामला बाबरी मस्जिद का भी है, बाबर भारत में खजाना लूटा, मार धाड़ की, मंदिर तोड़े और वापिस चला गया. ना तो उसका जन्म भारत में हुआ ना ही उसकी मृत्यु फिर भी उसकी मस्जिद के लिए भारत में नजाने कितनी बार हालात खराब हुए और कितने लोगों की जाने गयी.
जब मुस्लिम कनवर्टेड है तो उनको पता होना चाहिए की बाबर हमारा दुश्मन था, हमारे पूर्वज हिन्दू थे तो भगवान् राम उनके भी आराध्य थे. ऐसे में ओवैसी भाइयों ने नजाने कितनी बार अपने पूर्वजों के भगवान् राम को कितनी बार गालियां दी, वह भी खुले मंचों पर आप यूट्यूब पर वीडियो देख सकते हैं.
लेकिन बाबा रामदेव के ब्यान के बाद एक असदुद्दीन ओवैसी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमे वो कबूल कर रहा है की हाँ हम सब कनवर्टेड है. लेकिन जिस तरह से आरएसएस के लोग सोचते है की हमारे पूर्वजों को मार-काट कर या फिर तलवार की नौक पर इस्लाम धर्म कबूल करवाया ऐसा कुछ नहीं हैं.
असदुद्दीन ओवैसी की माने तो विदेशी हमलावर भारत पर राज़ करने के लिए आए उनके शासन से लोग इतना प्रभावित हुए की उन्होंने खुद ही हस्ते-हस्ते हिन्दू धर्म छोड़ कर इस्लाम धर्म कबूल कर लिया. लेकिन हमेशा सबूतों और तथ्यों का दावा करने वाले ओवैसी यह बताने में नाकाम रहें की सिखों के धर्म गुरुवों को किस आधार पर शहीद किया गया था. क्योंकि अगर ओवैसी की बात सही है तो सिखों के गुरुवों के शहीद होने का पूरा घटनाक्रम ही झूठा साबित हो जाता है. ऐसे में आप किसपर विश्वास करेंगे? कमेंट करके जरूर बताएं…