
मीडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है की एनआरसी का डर अब बांग्लादेशी लोगों पर हावी होने लगा है. किसी समय में भारतीय जवानों से बचकर बांग्लादेश से भारत में दाखिल हुए लोग अब पश्चिम बंगाल के बॉर्डर वाले इलाके से वापिस भाग रहें हैं.
बताया जा रहा है की यह लोग बंगाल में बड़े पैमाने पर तेज़ पत्ता, रुई धुनने, घर बनाने वाले मजदूरों की हैसियत से काम करते थे. अब ऐसे छोटे मोटे काम करने वाले लोगों की कमी पश्चमी बंगाल में साफ़ देखि जा सकती है.
पश्चमी बंगाल के लोगों का कहना है की भारतीय लोगों से कम दाम में बंगाल से आये लोग काम करने को राज़ी हो जाते थे. इसी लिए लोग उनको काम पर पहले रखने की तव्वजो देते थे. पश्चमी बंगाल के बॉर्डर इलाकों में ज्यादातर घर उन्हीं लोगो के थे जो की अब वीरान पड़े हैं.
बताया जा रहा है की इस बात की खबर राजनेताओं के पास भी पहुँच चुकी है, इसीलिए अपना वोट बैंक कम होने के चलते स्थानीय विधायक अली इमरान ने वामपंथी नेता कन्हैया कुमार के साथ एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में भी इस बात का ज़िक्र हुआ है की पश्चमी बंगाल के बॉर्डर एरिया के गाँव खाली होने के कगार पर हैं.

बॉर्डर सिक्योरिटी फाॅर्स यानी बीएसएफ ने भी इस बात की पुष्टि की है की, बॉर्डर एरिया के आस पास के गाँवों में कुछ घरों में ही अब लोग रहते हैं. लेकिन अभी इस बात की 100 प्रतिशत पुष्टि नहीं हो पायी वो लोग बांग्लादेश वापिस गए है या फिर एनआरसी के डर से देश भर में फ़ैल गए हैं.