![debate-between-kapil-mishra-and-tehseen-poonawalla-2](http://yugnews.in/wp-content/uploads/2020/01/debate-between-kapil-mishra-and-tehseen-poonawalla-2.jpg)
नागरिकता संशोधन कानून और इसके विरोध में चल रहे शाहीन बाग़ में प्रदर्शन को लेकर एक डिबेट चल रहा था. इस डिबेट में आम आदमी पार्टी से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए कपिल मिश्रा और कांग्रेस की तरफ से तहसीन पूनावाला मजूद थे.
डिबेट के दौरान तहसीन पूनावाला के दौरान जब नागरिकता संशोधन को लेकर तर्क ख़त्म हो गए तो उन्होंने ऊँची आवाज़ में चिलाना शुरू कर दिया. इस पर फिर कपिल मिश्रा ने कहा की विरोध के नाम पर शाहीन बाग़ के आस पास लोगों ने दुकाने खोल ली हैं, तुम्हारे बाप का राज़ है क्या दिल्ली में?
आपको बता दें की जैसा की हम सब जानते हैं नागरिकता संशोधन कानून आज का नहीं हैं. इस कानून की मांग तब से है जब बीजेपी तो दूर जनसंघ भी अस्तित्व में नहीं आया था. महात्मा गाँधी से लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू तक भारत से अलग हुए देशों में रह रहे अलप्संख्यों को नागरिकता का लॉलीपॉप देते रहे.
2003 में खुद मनमोहन सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी से गुजारिश की थी, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए गैर मुसलमानों को नागरिकता दी जाये. लेकिन फिर सरकार बदली और बदलने के साथ ही कांग्रेस ने अपनी इस तरह की सभी मांगो को सेकुलरिज्म की भेंट चढ़ा कर 10 साल निकाल दिए.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उनको पता था की, राज्यसभा में इस तरह के बिल निकालना मुश्किल हैं. अब क्योंकि बीजेपी के पास राज्यसभा में बहुमत तो नहीं लेकिन बहुमत के आंकड़े जुटाने जितने साथी दल होने के चलते उन्होंने यह बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास करवा लिया.
खाली करो शाहीन बाग !
तुम्हारे बाप का राज है क्या दिल्ली में !!बहुत सही जवाब @KapilMishra_IND जी
👏👏👏 pic.twitter.com/6hHOPNcwkz— Shivam Shukla 🇮🇳 (@ishivam98) January 24, 2020
अब क्योंकि यह काम मोदी सरकार ने किया था तो इसको सेकुलरिज्म का रंग चढ़ा दिया गया और बिना किसी तथ्य और आधार के इस बिल को मुस्लिम विरोधी बता दिया. जो मुसलमान अपने हिस्से का पूरा देश ले चुके हैं, कांग्रेस और उसके साथी दल चाहते हैं, उन मुसलमानों को शरणार्थी के रूप में भारत में फिर से नागरिकता देने का प्रस्ताव शामिल किया जाये.