संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन ने चाइनीज़ कंपनिया Huawei और ZTE को ऐसी कंपनियों की श्रेणी में डाल दिया है। जिससे देश की सुरक्षा को खतरों है। FCC के अध्यक्ष अजित पाई ने बोला है कि इस फैसले के बाद Huawei और ZTE, ये दोनों ही टेलिकॉम कम्पनियाँ $8.3 बिलियन के युनिवेर्सल सर्विस फण्ड का यूज़ नहीं कर पाएगी। हम आपको बता दे, कि FCC के इस फंड का यूज़ इन कंपनियों की मदद से सप्लाई किये जाने वाले उपकरणों और ग्राहकों को दी जाने वाली सेवाओं पर किया जाना था।
चीन की लगनी शुरू हो गयी है बॉस। अब अमेरिका ने चीन की दो बड़ी कम्पनियों Huawei और ZTE को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। अमेरिका में टेलिकॉम कम्पनियों को सामान बेचने के वांदे पड़ जाएंगे अब इनको। शी जिनपिंग पर पब्लिक का प्रेशर बढ़नेवाला है। https://t.co/7LtMfabkfN
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) June 30, 2020
FCC ने बोला है, कि उसने ये फैसला टेलिकॉम कम्पनीज से सिक्योरिटी रिस्क को देखते हुए लिया है। FCC की पब्लिक सेफ्टी और होमलैंड सिक्योरिटी ब्यूरो ने Huawei और ZTE संबन्ध में ये निर्णय लिया। साथ ही दोनों ही कंपनियों से संबंध अन्य कंपनियों पर भी ये नियम लागू होगा। इसी बात पर संस्था ने बोला, कि पुष्ट सबूत होने की वजह से ये फैसला लिया गया है।
अमेरिका की तरफ से चीन को इसे तगड़ा झटका माना जा रहा है। अमेरिका के FCC चैयरमेन और भारतीय मूल के अजित पाई ने 30 जून, 2020 को ट्विटर पर अपने एक बयान ने बोला, कि हम चीन की कंपनी के साथ अपने नेटवर्क साझा नहीं कर सकते है। जिससे हमारे कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंच पाए। भले ही अभी तक इस फैसले पर दोनों कंपनियों में से किसी का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
पाई ने बोला कि दोनों ही कंपनियों के चीन की कम्युनिटी पार्टी और चीनी सेना से गहरे सम्बन्ध है। उन्होंने बोला, कि जाँच में पाया गया है कि दोनों कम्पनिया चीन के नियमो का पालन करने के लिए मजबूर है जिसकी वजह से उन्हें वहाँ की ख़ुफ़िया एजेंसियो की सारी बातें माननी पड़ती है उन्होंने बोला, कि अमेरिका कभी भी चीन को हमारे टेलिकम्युनिकशन सेक्टर कमजोरियों का फायदा उठाने की अनुमति नहीं देगा।
In making this decision, @FCC took into account input from Congress, Executive Branch, intelligence community, allies, and communications service providers. Overwhelming weight of evidence supported designation of Huawei and ZTE as national security risks to U.S. networks. 2/4
— Ajit Pai (@AjitPaiFCC) June 30, 2020
उधर कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने चीनी कंपनी Huawei को भारत में 5G ट्रायल की रेस में शामिल किये जाने पर सवाल खड़े किये है। मनीष तिवारी ने ट्वीट करके केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से एक सवाल पूछा वो ये है, कि Huawei को 5G ट्रायल में हिस्सा लेने की अनुमति क्यों दी गई, आखिर क्यों किया गया ऐसा। उन्होंने चीनी कंपनी पर अमेरिका की तर्ज़ पर चलते हुए बैन लगाने की मांग की है।
मनीष तिवारी ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा कि अमेरिका ने Huawei और ZTE को राष्ट्रिय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। ऐसे में रविशंकर प्रसाद Huawei को 5G ट्रायल में हिस्सा लेने की पेर्मिशन कैसे दे सकते है? उन्होंने उन्हें सलाह दी और बोला कि Huawei और ZTE पर जल्दी ही प्रतिबंध लगाया जायगा।
हम बता दे कि टिकटोक को लेकर भी ऐसे ही सवाल उठाये गए थे। सोशल मीडिया पर गिरोह को सदस्यों ने ‘टिकटोक ने जो 30 करोड़ दिए, वो सब लोटा दो’ से लेकर ‘मोदी ने भी तो चीन की कंपनियों से पैसे लिए’ है ये सब बातें भी कर रहे है। ये दोनों ही बातें काफी स्तर पर आसमान और अतार्किक है। प्रपंचियो ने भी सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहुत ज्यादा कुतर्क फैलाया और ये भी बोला है, कि पीएम मोदी सरकार रुपए लेकर भी कंपनी को बैन कर रही है।