नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अब संसद में हिंदी भाषा पर प्रतिबंध लगाने का विचार कर रहे हैं! देश में सरकार के खिलाफ गुस्सा और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में मचा घमासान से ध्यान भटकाने के लिए नेपाल की प्रधानमंत्री अब उग्र राष्ट्रवाद का प्रयोग कर रहे हैं! आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले से ही नेपाली सरकार भारत के साथ सीमा विवाद और नागरिकता को लेकर कड़े तेवर दिखा चुकी है!
नेपाली सांसद : सदन को इतिहास से सीखना चाहिए
सरिता गिरी जो कि जनता समाजवादी पार्टी के सांसद है उन्होंने नेपाल की सरकार के इस फैसले को लेकर सदन के अंदर जमकर विरोध किया है! उनका कहना है कि नेपाल सरकार ऐसा करके तराई और मधेशी क्षेत्र में कड़े विरोध को आमंत्रित कर रही है! यही नहीं उनका कहना है कि सदन को इतिहास से सीखना चाहिए! सरिता गिरी ने सरकार से पूछा है कि क्या इसके पीछे चीन के आदेश आए हैं?
हिंदी भाषा पर प्रतिबंध लगाना आसान नहीं
हिंदी भाषा पर प्रतिबंध लगाना ने पास आसान नहीं होगा! जानकारी के लिए बता दें कि इस देश में नेपाली के बाद सबसे ज्यादा मैथिली भोजपुरी और हिंदी बोली जाती है! नेपाल में स्थित तराई क्षेत्र में रहने वाली ज्यादातर आबादी भारतीय भाषाओं का ही इस्तेमाल करती है! ऐसी स्थिति में अगर हिंदी को प्रतिबंध लगाने के लिए कानून लाया जाता है तो तराई क्षेत्र में उनका विरोध देखने को मिल सकता है!
ओली की पार्टी में टूट
प्रधानमंत्री की पार्टी अब टूटने के कगार पर पहुंच गई है! नेपाल की सत्ताधारी पार्टी के कार्यकारी चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड ने पीएम ओली की आलोचना करने के बाद उनसे अब इस्तीफे की मांग भी की है! कार्यकारी चेयरमैन ने प्रधानमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देते तो वह पार्टी छोड़ देंगे!
पीएम ओली ने किया इस्तीफे से इनकार
जानकारी के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है! लेकिन वही कार्यकारी चेयरमैन को पार्टी के अंदर को समर्थन मिल रहा है पार्टी के दो रूप पीएम और कई सांसद ने वर्तमान प्रधानमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है! वही नेपाल की जनता में इस वायरस को लेकर वहीं सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा देखा जा रहा है!