
महात्मा गाँधी, एक ऐसा नाम जिसका पूरा नाम भले ही आधे से ज्यादा कांग्रेस के समर्थकों को न पता हो. उनकी विचारधारा में अहिंसा शब्द था यह तो सबको पता होगा लेकिन अहिंसा शब्द का मतलब शायद ही किसी को पता हो.
महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी था. इनके नाम से कई सरकारी संस्थान देखने को मिलते हैं और साथ ही कई सोशल वेलफेयर स्कीम्स भी देखने को मिलती है. फिर भी इतने सम्मानित व्यक्ति जिसको राष्ट्रपिता का दर्ज़ा कथित रूप से हासिल है उसके बारे में कोई न कोई विवाद अक्सर उठता ही रहता है.
राष्ट्रपिता का दर्ज़ा कथित रूप से इसलिए क्योंकि किसी भी सरकार ने कभी भी देश का राष्ट्रपिता नहीं बनाया. उसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में दोनों सदनों में 2/3 बहुमत से बिल पास करवाना होता है. इस तरह का बिल ही कभी पेश नहीं किया गया पास होना तो बहुत दूर की बात.
खैर आज हम बात करने जा रहें है कांग्रेस शासित राज्य मध्यप्रदेश की जहां पर 10वी कक्षा के बच्चों को महात्मा गाँधी के बचपन के बारे में कुबुद्धि और अवगुणी होने की जानकारी दी जा रही है. खबर जब मीडिया में आयी तो इसका जमकर विवाद हुआ.
पढ़ने में कमजोर विद्यार्थियों के के लिए 10 वीं क्लास के मॉड्यूल बुक टेस्ट पेपर 3 के पेज नंबर 46 पर गांधी जी को कुबुद्धि और अवगुणी बताया गया है. ऐसे मॉड्यूल बुक केवल सरकारी स्कूलों के लिए त्यार होते हैं. जिसका तातपर्य है की राज्य के शिक्षा विभाग की मंजूरी के बाद ही यह छपता हैं.
इस मॉड्यूल पेपर में जिस लाइन से विवाद खड़ा हुआ है, उसका हिंदी में मतलब है की, “कुबुद्धि बेहद अवगुणी और शराबी था और गांधीजी जैसा जीवन जीता था.” लेकिन जब मीडिया ने सरकारी स्कूल के अध्यापक से सवाल किया तो उन्होंने बताया की, “यह प्रिंटिंग में हुई गलती है. जहां गांधीजी लिखा है, वहां गैम्बलिंग (जुआ) लिखा होना चाहिए था. यह प्रिंटिंग की ही गलती है, मॉड्यूल तैयार करने वाला कोई एक्सपर्ट ऐसी गलती नहीं करेगा. हम जब बच्चों को पढ़ाते हैं तो इस शब्द को सही कर देते हैं.”

वहीँ कांग्रेस विधायक का कहना है जिसने भी यह मॉड्यूल पेपर त्यार किया है और जिसने भी इसको मंजूरी दी है सबके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी. लेकिन सवाल तो यह है की राज्य के शिक्षा विभाग ने इस मॉड्यूल पेपर को छापने की इज्जाजत कैसे दी.